उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर इलाहाबाद की लखनऊ बेंच ने स्टे लगा दिया है। विवादित प्रश्नों के मुद्दे को लेकर कोर्ट ने यह स्टे लगाया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि सारे विवादित प्रश्न अब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को भेजे जाएंगे। यूजीसी की राय के बाद ही भर्ती प्रक्रिया आगे शुरू होगी।
इससे पहले राज्य सरकार ने चयनित अभ्यर्थियों की पहली सूची जारी करते हुए बुधवार, 3 जून से काउंसलिंग की तिथि निर्धारित की थी। विभिन्न जिलों के बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यालयों पर काउंसलिंग के लिए चयनित अभ्यर्थी भी जमा हो गए थे। लेकिन हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अभ्यर्थियों को काउंसलिंग केंद्रों से निराश लौटना पड़ा। लॉकडाउन और कोरोना के डर के बीच ये अभ्यर्थी किसी तरह उपस्थित हुए थे। कई ऐसे भी अभ्यर्थी थे जो दूसरे जिलों से आए हुए थे, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के अभ्यर्थियों में असमंजस की स्थिति हो गई।
इस भर्ती प्रक्रिया के लगभग डेढ़ साल हो गए हैं और सरकार ने इस भर्ती को मात्र एक महीने में पूरा करने का ऐलान किया था। एक दिसंबर, 2018 को उत्तर प्रदेश शासन ने 69000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा की अधिसूचना जारी की थी। छह जनवरी, 2019 को इसकी परीक्षा हुई। परीक्षा के एक दिन बाद सात जनवरी को शासन ने उत्तीर्ण अंक निर्धारित किया गया, जो कि 60-65 प्रतिशत था। यानी 150 अंकों की परीक्षा में से सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 97 और अन्य आरक्षित वर्ग के लिए 90 अंक लाना अनिवार्य कर दिया गया।
शासन द्वारा घोषित इस कट ऑफ के खिलाफ कुछ अभ्यर्थी कोर्ट में चले गए। ये अभ्यर्थी मुख्यतः शिक्षा मित्र थे। शिक्षा मित्रों ने उत्तीर्ण अंक कम करने की गुजारिश हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच से की। 29 मार्च को हाईकोर्ट के सिंगल बेंच ने उत्तीर्ण अंक को कम कर 40-45 प्रतिशत कर दिया। बीएड और बीटीसी अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट के सिंगल बेंच के इस फैसले के खिलाफ डबल बेंच में अपील की। डबल बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार के हक में निर्णय सुनाते हुए उत्तीर्ण अंक को 60-65 प्रतिशत पर कर दिया। इसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने परीक्षा के आंसर-की जारी की। इस आंसर-की में कुछ प्रश्नों और उसके उत्तर को लेकर विवाद था। इसके बाद फिर कुछ अभ्यर्थी हाईकोर्ट में चले गए। हाईकोर्ट का वर्तमान निर्णय इसी संबंध में आया है।