अगर कोई किसान या युवा मछली पालन करना चाहते हैं तो केंद्र सरकार की नीली क्रांति योजना से आपको सब्सिडी मिल सकती है। इस योजना में मछली बीज उत्पादन, मत्स्य मार्केटिंग, मछुआरा बीमा समेत मत्स्य विभाग के सारे सेक्टरों को रखा गया है।
नीली क्रांति योजना में जो लाभार्थी के लिए योजनाएं है उसमें जो भी परियोजना लागत है उसमें सामान्य वर्ग के व्यक्ति के लिए सरकार ने 40 प्रतिशत अनुदान की सुविधा रखी है वहीं एससी/एसटी और महिला वर्ग के लिए सरकार ने 60 प्रतिशत अनुदान की सुविधा रखी है।
अगर किसी भी व्यक्ति को इस योजना के अंतर्गत लाभ लेना है तो वह अपने जिले के जनपदीय मत्स्य कार्यालय में संपर्क कर आवदेन कर सकता है।कार्यालय जिले स्तर पर चयन समिति गठित करके उसका चयन करती है और चयन करने के बाद उसके परियोजना प्रस्ताव को निर्माण कराया जाता है।
प्रस्ताव के निर्माण के बाद निदेशालय को उपलब्ध होता है उसी के आधार पर हम वह परियोजना प्रस्ताव उत्तर प्रदेश सरकार को राष्ट्रीय मत्सिकी विकास बोर्ड के माध्यम से प्रेषित करते है।
बोर्ड परियोजना प्रस्ताव को परीक्षण करती है और उसके बाद वह संतुति करती है उसके बाद भारत सरकार प्रदेश सरकार को धनराशि देती है।धनराशि मिलने के बाद प्रदेश सरकारी सारी औपचारिखताएं पूरी करते हुए लाभार्थी को धनराशि देती है।
आवेदक को धनराशि कई चरणों में दी जाती है जो कि परियोजनाओं पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए अगर किसी लाभार्थी को तालाब का निर्माण कराया जाना है तो उसमें दो चीज़े होती हैं- एक तालाब का निर्माण, दूसरा तालाब का निवेश। तालाब के निर्माण में दो चरणों में धनराशि दी जाती है। पहले तालाब निर्माण होता है तालाब निर्माण होने के बाद उसमें जो भी निवेश की लागत होती है। उसकी धनराशि उसको अनुदान के रुप में दी जाती है। क्योंकि 40 प्रतिशत अनुदान में जो शेष धनराशि लाभार्थी को लगानी होती है। इस परियोजना में लाभार्थी पहले खुद काम पूरा करता है शेष धनराशि अनुदान की राशि से पूरी की जाती है।