खेती-किसानी को एक करियर और एक आंत्रप्रेन्योरशिप के रूप में देखकर, युवाओं को इसके लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिजेंद्र सिंह ने कहा, “तेजी से बदलती दुनिया में खेती को पारंपरिक तरीके से देखने की बजाय प्रोफेशनल तरीके से देखने की जरूरत है। यह क्षेत्र संभावनाओं और प्रयोगों के लिए हमेशा खुला हुआ है, आप जितना प्रयोग और नवाचार करेंगे इस क्षेत्र को और आपको उतना ही फायदा होगा।”
उन्होंने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय कैंपस में ही प्रयोग की गतिविधियों को बढ़ाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को छोटे-छोटे समूह बनाकर विश्विद्यालय कैंपस में ही प्रयोग करते रहना चाहिए, ताकि भविष्य के लिए वे तैयार हो सकें। उन्होंने इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन से हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।
वरिष्ठ वैज्ञानिक और बायो-टेक पार्क, लखनऊ के संस्थापक प्रोफेसर प्रह्लाद सेठ ने कहा कि अगर किसी भी युवा के पास कृषि क्षेत्र में नवाचार के लिए कोई बेहतर योजना है, तो वह पूरी तैयारी के साथ उनकी संस्था के पास आए। उनकी संस्था आर्थिक और तकनीक दोनों तरीके से मदद करेगी।
‘मेधा’ के सहसंस्थापक ब्योमकेश मिश्रा ने कहा कि आंत्रप्रेन्योरशिप एक लक्ष्य न हो कर एक यात्रा है, जो लगातार चलती रहती है। उन्होंने कहा कि अगर आपको खेती में सफल होना है तो इसके उत्पाद पक्ष को देखने की बजाय बाजार पक्ष को भी देखना होगा ताकि वैल्यू चेन में किसानों को अधिक से अधिक फायदा हो। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर बड़े-बड़े होटल लाल और पीले शिमला मिर्च को अधिक दाम पर खरीदते हैं तो किसानों को भी प्रयोग करते हुए पारंपरिक खेती के साथ-साथ ऐसे उत्पादों को भी उगाना चाहिए। उन्होंने खेती को एक फूड सिस्टम की तरह भी देखने की सलाह दी।
नाबार्ड के क्षेत्रीय प्रमुख परमेश्वर लाल पोद्दार ने कहा कि किसानों और कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ रहे युवाओं को गर्व से कहना चाहिए कि ‘वे किसान हैं, कृषि विशेषज्ञ हैं।’ उन्होंने युवाओं को सलाह दी कि वे भविष्य के लिए डरे नहीं बल्कि अपना प्रयास करते रहें। उन्होंने कई ऐसी सरकारी योजनाओं के बारे में बताया जिसकी मदद से युवा कृषि क्षेत्र में बेहतर भविष्य बना सकते हैं।
ISEED-IRMA की इंक्यूबेशन मैनेजर शुभा खड़के ने एग्रीप्रेन्योरशिप में आने वाली मुश्किलों पर युवाओं से चर्चा की। उन्होंने कहा, “एग्रीप्रेन्योरशिप की जो यात्रा है वह काफी चुनौतीपूर्ण है। लेकिन अगर आप अपनी योजना पर सही काम किया है, तो आपको एग्रीप्रेन्योरशिप की इस यात्रा में काफी मजा भी आएगा।”
आर्यावर्त बैंक के क्षेत्रीय प्रमुख डीपी सिंह ने कहा कि युवाओं को दिमाग में बिना कोई नकारात्मक विचार लाए अपनी योजना पर पूरी तरह से लग जाना चाहिए, निश्चित रुप से सफलता मिलेगी। उन्होंने कई ऐसी सरकारी ऋण योजनाओं के बारे में युवाओं को बताया जिसकी मदद लेकर युवा अपने एग्रीप्रेन्योरशिप को बढ़ावा दे सकते हैं।
सफल मछली पालक परवेज खान ने कहा कि उत्तर प्रदेश में युवा इस समय मछली पालन में अपना सफल करियर बना सकते हैं क्योंकि राज्य में वर्तमान समय में हजारों टन मछली झारखंड और कर्नाटक जैसे राज्यों से मंगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई असफल होता है, तो इसका मतलब उसकी योजना नहीं फेल हुई है बल्कि उस व्यक्ति ने अपनी योजना पर सही ढंग से काम नहीं किया।
उत्तर प्रदेश के मऊ के सफल केला किसान और नया दौर एग्रो प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ डॉ. मनीष राय ने युवाओं से संवाद पर अपनी खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह एक बेहतरीन अनुभव रहा क्योंकि जिनसे हम संवाद कर रहे थे, वे कृषि की ही पढ़ाई करते हैं और आगे इसी क्षेत्र में कुछ अच्छा करने की क्षमता रखते हैं।